circuit design and analysis

कुछ दिन पहले घर पर अपनी लाइब्रेरी में रखी किताबों को दोबारा सही से लगा रहा था , इसी बीच मेरी नज़र एक पुस्तक पर गई जो एक प्रसिद्ध पब्लिकेशन ” टाटा मेगरा हिल ” की थी नाम था “सर्किट डिजाइन एंड एनालिसिस

इस पुस्तक को मैंने एमएससी में पढ़ने के दौरान
दिल्ली के दरियागंज के मार्केट से खरीदा था |
मुझे एकदम ध्यान आ गया कि इसमे तो एक फ्लापी डिस्क ( Floppy Disk ) भी थी

तुरन्त मैंने इसके बैक में लगे एक प्लास्टिक फोल्डर को खोला उस फोल्डर से निकाली एक फ्लापी डिस्क और देखते ही अतीत के MS-DOS (Microsoft Disk Operating System) बेस्ड कम्प्यूटर की याद आ गई 😍
क्योंकि ये वो समय था जब कंप्यूटर लोगो के लिए आम नहीं थे|

हालांकि उस समय (2003/2004 ) तक भारत में मॉडर्न टेक्नोलॉजी युग की अच्छी शुरुआत हो चुकी थी और मोबाइल टेक्नोलॉजी भी धीरे धीरे कलर्ड स्क्रीन के फोन की ओर बढ़ रही थी , कम्प्यूटर्स अपनी आधुनिकता की ओर बढ़ते जा रहे थे परन्तु फिर भी विंडो 95 और डॉस बेस्ड कम्पुटर्स बाहुल्य में थे उनको धीरे – धीरे आधुनिक तकनीक से रिप्लेस किया जा रहा था |

आज बात करते हैं उस बेहतरीन फ्लॉपी डिस्क की टेक्नोलॉजी की 😍

फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल 90 के दशक के अंत और 2000 कि शुरुआत के समय में मुख्य स्टोरेज डिवाइस के रूप में होता था , जैसे आजकल आप और हम सेमीकंडक्टर चिप का यूज करते हैं डेटा( फोटो, वीडियो फाइल्स आदि )स्टोरेज के लिए , परन्तु उस समय में डेटा स्टोरेज करने के लिए फ्लॉपी एकमात्र साधन था , इसे Secondary Data Storage के रूप में इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि यह एक हार्डवेयर डिवाइस होती थी इसे आराम से आजकल की डीवीडी/ पैन ड्राइव / या मेमोरी कार्ड की तरह लेकर जा सकते थे , यह चुम्बकीय माध्यम के रूप में deta को store और read कर सकती थी |

फ्लॉपी डिस्क ड्राइव का आविष्कार 1967 में एलेन सुगार्ट ने IBM (International Business Machines)कम्पनी में किया था |

यह 8 इंच की डिस्केट (8″वाली को Diskette कहते थे और जब 5.25″ बनी उसे डिस्क कहा गया) थी ,यह पहले प्रकार का हार्डवेयर स्टोरेज डिवाइस था जो कि पोर्टेबल था अर्थात इसमें स्टोर डेटा को Read And Write कर सकते थे|

यह फ्लॉपी डिस्क केवल 80KB डेटा ही स्टोर करने में सक्षम थी 😥 यानी आज के जमाने में मोबाइल कैमरे का फ़ोटो भी कम से कम 2 एमबी का डेटा यूज करता है

बाद में इसका आकार 5.25 इंच हो गया था और यह 800 KB डेटा स्टोर करने में सक्षम था यानी ये भी ज्यादा से ज्यादा आजकल के आपके छोटे वॉइस नोट को स्टोर कर सकता है 😥
बाद में 3.5 इंच के फ्लॉपी डिस्क भी बनने लगे जिसकी स्टोरेज क्षमता 1.44 MB थी

अब समय के साथ साथ आधुनिकता बढ़ती गई और तकनीक उत्तम होती गई धीरे धीरे डेटा स्टोरेज के लिए MOS(Metal oxide Semiconductor) फैमिली पर आधारित सेमीकंडक्टर चिप्स का विकास होता चला गया जिनकी स्टोरेज क्षमता MB ( MegaByte) जैसे 32 MB , 64MB से लेकर GB (GigaByte) की रेंज तक होती चली गई और आजकल तो TB (TeraByte) और अब PB (PetaByte) की रेंज तक स्टोरेज क्षमता का उपयोग करते हैं और इससे काफी पहले आधुनिकता और बड़े स्टोरेज के दौर में फ्लॉपी डिस्क अत्याधुनिक MOS फैमिली के प्रभाव के कारण मार्केट से बाहर होती चली गई |

आज भले ही आप कितनी अधिक मेमोरी का फोन या कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर लो परन्तु आज अगर आप फ्लॉपी जैसी तकनीक को भूलते हैं
तब यह वैसे ही होगा जैसे आप घर के किसी बड़े बुजुर्ग को भूल रहे हों |

जय हिंद जय भारत

डॉ अविनाश शर्मा
एमएससी पीएचडी
(भौतिक विज्ञान)